संघर्ष से जो सुख मिले उसे लोगों में बांटे- डा. नौटियाल

– परमहंसों की संहिता है श्रीमद् भागवत महापुराण
उत्तरकाशी। जिला मुख्यालय के ज्ञानसू में आयोजित श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते व्यास पीठ पर बिराजमान डा. द्वारिका प्रसाद नौटियाल ने कहा कि भगवान ने सम्पूर्ण जीवन भर संघर्ष किया। उस संघर्ष से जो सुख प्राप्त हुआ उसे वह लोगों में बांटते चले गए। हमें भी धर्म प्राप्ति हेतु निरन्तर कर्म करते रहना चाहिए।


सोमवार को नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड संख्या 10 में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के छटवें दिन व्यास डॉ. द्वारिका प्रसाद नौटियाल ने कंस वध व रुकमणि विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि जब कंस के अत्याचार से पृथ्वी वासी भगवान से गुहार लगाने लगे तब भगवान अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को कई बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास असफल साबित होता रहा। कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने 11 वर्ष की अल्पायु में कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का भी प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण व बलराम के हाथों मारे गए। अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने माता-पिता वसुदेव और देवकी और महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया। उन्होंने बताया कि माता लक्ष्मी का अवतार रुकमणि विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी। वह श्रीकृष्ण से विवाह करने की इच्छुक थी, मगर रुकमणि के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे।

इसके चलते उन्होंने रुकमणि के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था। जैसे ही यह खबर रुकमणि को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ। और युद्ध के बाद श्री कृष्ण रुकमणि से विवाह करने में सफल रहे।
इस अवसर पर आयोजन कर्ता देवेन्द्र प्रसाद उनियाल, विनय उनियाल,सोमश,विशम्वर प्रसाद,बच्ची राम, डा. शंभू प्रसाद नौटियाल,मुरली मनोहर भट्ट, रमेश उनियाल, गोविंद राम, अरविंद, गिरीश भट्ट,नवनीत उनियाल, हरि शंकर, कुलदीप, आचार्य अमित रमूड़ी, राजेश नौटियाल, आदि मौजूद रहे।
4- ज्ञानसू में श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते व्यास डा. द्वारिका प्रसाद नौटियाल

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