किसी भी जीव को अभिमान नही करना चाहिए

किसी भी जीव को अभिमान नही करना चाहिए
– कहा कर्म करना जीव का धर्म है, फल देना भगवान का काम है
उत्तरकाशी, ज्ञानसू में आयोजित श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते व्यास डा. द्वारिका प्रसाद नौटियाल ने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को कभी अभिमान नही करना चाहिए। बल्कि कर्म करते रहना चाहिए और फल इच्छा नही रखनी चाहिए।
रविवार को ज्ञानसू में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के पंचम दिवस पर भगवताचार्य डा. द्वारिका प्रसाद नौटियाल ने भगवान के बाल लीलाओ का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान को माखन इसलिए अच्छा लगता हैं, क्यूकि माखन भक्त का प्रतीक है। उन्होंने कथा में प्रवचन में समुन्द्र में कालीय नाग कि कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कालीय नाग बृज में समुद्र में रहता था, यदि कोई समुन्द्र में जाता तो उससे वह मार देता था। उन्होंने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए बताया की सात कोस लंबे चौड़े कालिकाल के देवता गोवर्धन नाथ को 07 वर्ष के कन्हैया ने सात दिनों तक दिनरात अपनी सबसे छोटी अंगुली परधारण किए रहे और इंद्र देव का अभिमान तोड़ा। कहा कि कर्म करोगे तो फल मिलेगा, इसलिए भगवान ने भी कर्म को प्रधान बताते हुए कहा कर्म करना जीव का धर्म है, फल देना मेरा काम है।
इस अवसर पर आयोजन कर्ता देवेन्द्र प्रसाद उनियाल, विनय उनियाल,सोमश,विशम्वर प्रसाद,बच्ची राम, रमेश उनियाल, गोविंद राम, अरविंद, गिरीश भट्ट,नवनीत उनियाल, हरि शंकर, कुलदीप, आचार्य अमित रमूड़ी, राजेश नौटियाल, आदि मौजूद रहे।
ज्ञानसू में श्रीमद भागवत कथा का वाचन करते व्यास डा. द्वारिका प्रसाद नौटियाल,

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