तर्कशीलता ही है अंध विश्वास का विकल्प

देहरादून–31 मार्च, देहरादून। हम पढ़ते या पढ़ाते या बात तो कुछ और करते हैं लेकिन दैनिक जीवन में व्यवहार ठीक उलट तरीके से करते हैं. अध्ययन के द्वारा प्राप्त ज्ञान और विज्ञान के अनुसार हम अपने दैनिक जीवने को नहीं जी पा रहे है हमारा मिजाज आज भी दकियानूसी और अवैज्ञानिक क्यों है यह सोचने की जरूरत है।

इसी जरूरत के मद्देनजर दून साइंस फोरम और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने मिलकर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के टीचर लर्निंग सेंटर में मिथक, अंधविश्वास और विज्ञान पर सेमिनार आयोजित किया।

काली बिल्ली के रास्ता काटने या घर से बाहर निकलने पर छींकने से डर जाना बुरी नजर से बचाने के लिए बच्चों को काला टीका लगाना घर के आगे मटकी लगाना नीबू मिर्च दरवाजे पर टांगना ग्रहण पर कुछ न खाना पीना जैसी न जाने कितनी ही बाते हैं जो दैनिक जीवन में शामिल तो हें लेकिन जिना तर्क से कोई रिश्ता नहीं है।

दून साइंस फोरम के विजय भटट् ने कहा कि ‘समाज में कई मान्यतायें ऐसी हैं जिनको बचपन से हम सुनते आ रहे हैं जो सुनते है उसी तरह की धारणा बन जाती है। क्या आस्था और अंधविश्वास में आपस में कोई रिश्ता है? चमत्कार, रहस्य, प्रकृति के विरूद्ध घटना होती है जब पता चल जाता है रहस्य को खोलने की प्रक्रिया को ही विज्ञान कहा जाता है।‘तार्किकता की राह में आने वाली तमाम अड़चनों के बारे में सोचना ही वेैज्ञानिक सोच की तरह हमारा पहला कदम हो सकते है।

स्कूलों में और घर में भी बच्चों के बीच इस धारणा पर बहस होनी चाहिए। यह अपेक्षित है कि जो भी गतिविधि हो उसकी सत्यता की बात बच्चों तक पहुंचे। कुछ भी मानने, पढ़ने- सुनने से पहले पूर्वाग्रह मुक्त होना बेहद जरूरी है. पूर्वाग्रह के बरक्स हमें चीजे वैसी ही दिखती हैं जैसी हम उन्हें देखना चाहते हैं।

विजय भटट, रावत सर ने नितीश और रवि को साथ लेकर भूत पकड़ना, सर पर चाय बनाना,हवन, बेैलेंस बनाकर सैर कराना, रस्सी तथा रूमाल में माचिस की तिल्ली बंद कर सभी से कन्र्फम करने के बाद तोड़कर दिखाया लेकिन जब खोलकर देखा तो माचिस की तिल्ली जैसी की तस थी।

एक गिलास में एक रूपये के सिक्के का गायब हो जाना और सिक्के का वापस हो जाना,आग के गोले को मुंह में डालना। हवन से आदि जैसे कई प्रयोग कर दिखाये जिसको हम रहस्य या चमत्कार मान लेते हैं कोई सवाल नहीं करते। यह सवाल न करने की आदत को सवाल करने की आदत में बदलने की जरूरत है जिसे बच्चों में रोपना जरुरी है।

कार्यक्रम की भूमिका और संदर्भ रखते हुए अर्चना थपलियाल ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के बारे में संक्षेप परिचय दिया। उसके बाद विजय भट्ट ने दून सांइस फोरम व रवि ने भारत ज्ञान विज्ञान समिति की गतिविधियों से रूबरू कराया।

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